गणतन्त्र नेपालमे भर्खरए एक चुनाव निभटो हए जो कि परिणाम सार्बजनिक हुइरहे हएँ । जा चुनाव मिलाएके गणतन्त्र नेपालमे ४ संसदीय चुनाव लगातार भए हएँ उनमे राजनैतिक हिसाबकिताब देखन पेति रानाथारु समुदायको प्रतिनिधित्व दिनए दिन पछेलत दिखानो हए बहे सबालमे कुछ लिखन चाहो हौं । १० बर्शे ससस्त्र आन्दोलन वाद गणतन्त्र नेपालको अन्तरिक संविधान टेकके भओ पहिलो संविधान सभा चुनाव २०६४मे ३ जनै रानाथारु समुदाय से प्रतिनिधित्व करि रहएँ ९नारदमुनी राना, मालामती राना, पूरन राना०। पूरन राना हमर समुदायके पहिले जननिर्वाचित संसद भए जा चुनाव खासमे संबिधान बनान ताहिँ रहए तभिमारे जक नाओ “संविधान सभा चुनाव” धरोगओ रहए औ संसदसे सभासद कहोजात रहए । जा चुनावसे संविधान ना बनपाइ संविधान सभाको पछातोरमे देशभरए बडे बडे संघर्षपुर्ण आन्दोलन होत रहएँ हमर समुदाय फिर आन्दोलनमे सहभागी भओ रहए नेपाल रानाथारु समाज सहितको रानाथारु संयुक्त संघर्ष समितीको अगुवाइमे समुदायके एजेन्डा लैके अग्गु बढो रहए मोय लगत समुदायकि अवाज बुलन्द करन ताहिं मिर इतिहासमे सबसे बडो आन्दोलन रहए जो आन्दोलनसे सरकार बार्ता फिर करि पर माग अधुरे रहएँ, पहिलो संबिधान सभाको असफलता पिच्छु दुसरो संबिधानसभाको चुनाव भओ २०६९ मे जा चुनाव मे रानाथारु समुदाय से कोइ पार्टीसे प्रत्यक्ष सहभागिता ना हुइपाइ । पर समानुपातिक कोटासे प्यारेलाल राना, कृपाराम राना, मालामती राना९३ जनि० हमर समुदायसे प्रतिनिधित्व करि रहएँ बो चुनाव फिर संविधान बनान ताहिं रहए तभी संविधान बन्तए जा संसदको अन्त हुइके २०७४ मे पहिलो चोटि संघिय गणतन्त्र नेपालको ३ तहको सरकार९स्थानीय, प्रदेश, संघ०को चुनाव भओ । जा चुनावमे रानाथारु समुदायसे एकए जनि संसद नारदमुनी राना इकल्ले संघमे प्रत्यक्ष निर्बाचित भए रहएँ जो हमर समुदायसे पहिलो चोटि निर्बाचित मन्त्री भए रहएँ पर समानुपातिक से संघमे कोइ फिर सहभागिता ना भओ रहए पर प्रदेशमे माननीय मालामती राना औ श्यामलाल राना ९२ जनि० समानुपातिक से सहभागी भए रहएँ। उनहिक कार्यकालमे आदिबासी सूचीकरणमे रानाथारु जाती, भासा सूचीकरण भओ जा देशमे पहिचानके सवालमे समुदायके ताहिं एक ऐतिहासिक उपलब्धि भै पर अधिकारके माग अभेफिर अधुरे हएँ । २०६९ को आन्दोलनसे बार्तामे पहिचान९सूचीकरण० औ अधिकार९आरक्षण०के बुँदा खास रहएँ पर सुप प्रदेश सरकार १३५ थारुररानाथारु आरक्षण देनिया प्रदेश लोकसेवा विधेयक बनाए त डारी हए पर कार्यन्वयन होन बाँकी हए । अधिकार पान पेती हमर समुदायसे जा चोटीको स्थानीय सरकारमे अच्छो सहभागीता भओ हए पर संघरप्रदेशमे हमर प्रतिनिधित्व शुन्य भओ हए, प्रत्यक्ष लड्के फिर अपन बाहुल्य क्षेत्रमे हारे हएँ । जा सवालमे समाजिक संजालसे लैके चाह दुकानमे अभे बहुत बहस चर्चा हुइरहे हएँ बहे सवालमे मिर मनमे खट्की कुछ बात लिखन मन करो हौं ।
१० हमर समुदायसे राजनीतिमे प्रतिनिधित्व जरुरी हए कि नारु
बिकास निकास औ परिवर्तनकि सब्से बडि शक्ति राजनीति हए, राजनीति हर मनैसे जुडि हए काहेकी मनै समाजिक प्राणी हए समाजिक प्राणिके मारे राजनीति हर मनैके प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष प्रभाव डारत हए । आदिवासीके सवालमे संसारके तमान देश उनके राजनीतिमे सहभागीता करान ताहिं संरक्षित क्षेत्र आरक्षित फिर होत हएँ । आरक्षणको सिद्धान्त स्वशासन प्रणाली, अपनत्व, आत्मनिर्णय, रास्ट्र एकता, सहभागीता, अग्राधिकार जैसे खास तत्व समेटनके ताहिं बनोजात हए पर नेपालमे ऐसो राजनीति आरक्षण नैया पर संबैधानिक ब्यबस्था अनुसार ९४०५० समानुपातिक सहभागीताको ब्यबस्था जरुर हए समानुपातिकको मतलब आरक्षणए हए पर सत्ताधारी नेता नेपालमे गलत प्रयोग कर्के अपन ढिँगैके मनैके समानुपातिककि डगरसे लैजात हएँ । नेपालमे समानुपातिक सहभागिता प्रभावकारी ना दिखानो हए समान हौसियत औ समान सेवासुबिधा होन रहए पर समानुपातिक प्रतिनिधित्वके कर्मचारी टेरतौ नैया, चीनतौ नैया, नेता खुद उनको भ्यलु कम कर्त हएँ, सेवा सुबिधा फिर कटौती, ९समानुपातिक० संसदको जनसम्पर्क फिर नेपालमे कम दिखानो हए, तभिमारे उनके सोचो जैसो काम करन मुस्किल होत हए । तभिमारे संघ औ प्रदेशमे अपन प्रत्यक्ष निर्बाचित होनो जरुरी जैसो महसुस हुइगओ हए, तभिमारे अपन समुदायकि सरकारमे अवाज उठान ताहिं प्रत्यक्ष संसद होनो जरुरि लग्त हए, हमर पुर्खाकि कहाइ हए कि थैलक मार कुत्तए जानए तभिमारे आपन भुकत भोगो समस्या औरके पता ना हुइसक्त हए, दुसरे समुदायके मनैके हमर समुदायको पीर उत्तो ना दुखत हए साइत तभिमारे पहिचान९सूचीकरण०को मुद्दा समाधान होन २० बर्श लगो । नेपालको शासन सत्ता पुरातनवादी चिन्तनसे ग्रसित हए तभिमारे नियमसे होनबारे काम फिर राजनैतिक शक्ति बनानमे प्रयोग होत आए हएँ, तभिमारे दुसरेक समस्या अट्काएके चुनावी एजेन्डा बनात हएँ, हर अँट्काएके बरधक थूरत हएँ राजनैतिक पार्टीबाले, सबके याद हए सूचीकरण कर्बाङ्गे कहिके हरेक पार्टीबाले बडे बडे नेता आपनएसे भोट मागके जीतके जात रहएँ औ कित्तो दिनले लटकाइँ, प्रधानमन्त्री जैसे सक्तिमे तक पुगे प्रधानमन्त्रीके अपनी ढिँगैके मनै फिर जहे एजेन्डा उठाएके जीते पर सुनबाइ होनताहिं इत्तो बर्श कैसे लगोरु, जा त एक उदाहरण इकल्लो हए । स्मरण रहए १० बर्शे जनयुद्धमे उठेभए पहिचान सहितको संघीयता, आत्मनिर्णय, अपनत्व, समानुपातिक समाबेशिता, अपनो प्रतिनिधित्व जैसे तमान सवालको समाधान देशकि राजनीतिमे हरेक समुदायसे प्रतिनिधित्व होनो हए, संविधानमे फिर समानुपातिक ब्यबस्था लानो जहे कारण हए ।
२० का पिछडे समुदायके आदिवासी मनै राजनीतिमे आनो जातियता हएरु
तमान मनैके अभे फिर भ्रम हए कि आपन आदिवासी समुदाय राजनीतिमे अपन समुदायके मनैके जिताङ्गेत जातियता हुइगओ रे, इतिहास कालसे अन्य समुदायके नेता आपनके उपर शासन कर्त आएहएँ ऐसो लगत हए कि आपन राजनीति करन ताहिं हैए नाए, आपन जन्मजात असक्षम हएँ, आपन त हजुर महराज कर्के उनके हातजोर बिन्ती करन बाले इकल्ले हएँ , जा सब भ्रम हए औ पुरातन चिन्तनसे ग्रसित मानसिकताको उपज हए मय सुनो हौं जे जीतके जाङ्गे त का हुइजएहए इकल्लो थरुवक कौन सुनैगो तासेत बक जिताओ बक पहुँच हए बो काम करैगो, मोय अचम्हो लग्त हए अभेतक आपन कौन दुनियाँमे हएँरु नियम कानुन से होनबालो काम इकल्लो होए चहुँ दुकल्लो कर्बाए सक्त हए , औ पहुँचके अधारमे होत आओ राजनीतिके आपन बढावा देत हएँ, नीति नियम कानुन सबके ताहिँ बराबर होन पडत हए पर आपन पहुँच जौनक हए उनके नेता मान्देत हएँ, उनहिक जितादेत हएँ औ जा पहुँच कैसे बन्त हए कौन बनादेत हए आपनयके पता ना होत जए जबकी बो पहुँच आपनए बनबात हएँ । राजनीति एक ऐसि शक्ति हए कोइ न कोइ डगरसे शक्ति बटोरके सत्ता बनाएके नीति निर्माण करनिया ठाउँ बन्जात हए, दुसरेक ऊपर शासन करनिया एक शक्ति बन्त हए । नेपालमे शक्ति बनानकि अभेतक खास विधिरडगर
क० नाताबादरकृपाबाद स् उदाहरण( उच्च पदस्थ नेता अपन योग्य औ योगदानसे जद्धा बिश्वासपात्र, नातेदार, कार्यकर्ताके टिकट देन ।
ख० राजनैतिक सिद्धान्त स् पार्टीकि नितिनियम बिचार अनुसार पार्टी भक्ति ९पार्टीसे जौन होए मनै कैसो कौन हए पता नाए पर भोट डार्देत०
ग०क्षेत्रीयतारजातीयतास् उदाहरण( देउवा डडेल्धुरामे कभिन हारन, उते के।पि। ओलि झापामे जीतन क्षेत्रीयता हए, मधेशबादी दलको उदय
घ० कुशलतारसक्षमतारयोग्यता स् उदाहरण( रबि लामिछानेको अभेको क्रेज, बालेन हर्क मेयरमे स्वतन्त्रसे जीतन, सागर ढकाल प्रधानमन्त्रीसे टक्कर लगाएके इत्तो भोट लानो आदिजे ऊपरकि लिखिभै डगरसे शक्ति बटोरके नेपालमे राजनीति होत आइ हए जो सबसे जरुरी ९घ० नम्बरकि डगर हए बो सब्से कम्जोर हए औ जहेमारे देशकी हालत ऐसि हए ।
नेपालके आदिबासी समुदाय राज्य औ राजनीतिसे इतिहास कालसे पछेलो समुदाय हएँ तभिमारे नेपालमे ब्रह्माण्ड वाद शासन कहिके आलोचना फिर होत हए, उनहिको हालिमुहाली हए । पहिले पहिले पन्चायत कालमे उनके चाकरी करन बाले, शासक बर्गके मनपडे मनैके मनमौजी हिसाबसे पन्च, प्रधान, मानिय९माननीय० बनाएदेत रहएँ आदिवासी समुदाय से । ऐसिमे हमर समुदायसे लबरु राना ९मन्त्री०, भज्जन लाल ९माननीय० बने पर बे अपन समुदायके ताहिँ खास अवाज ना उठापात रहएँ सत्ताधारीके अनुसार चलन पडत रहए । अभेतक आदिवासी समुदाय दुसरे दर्जाके मनै हानी राज्यके निकायमे हएँ जब हकअधिकार पहिचानके आन्दोलन कर्त त जातीय आन्दोलन कहिके आलोचना इकल्लो नाय सरकार पक्षसे दमन होन लग्त हए । नेपालमे इतिहास कालसे जध्धासे जद्धा राजनैतिक शक्ति क्षेत्रीयतारजातियता ९ग नम्बर बुँदा० से होत आओ हए, ऐसोमे पछेलो समुदायको प्रतिनिधित्व ढुँडनपेती जातिया राजनीति सुझान पार्टीको पुर्बाग्राह, भ्रम, अपन समुदायके असक्षम महसुस, परनिर्भर औपनैबेशिक मानसिकताकोको उपज हए । जातिय राजनीति आपन नाय शत्ताधारी शासक लोग कर्त आए हएँ, आपनको अर्धचेत मस्तिष्कमे जातिय बीज बोएके पार्टीके रूपमे अलग्याए पडे हएँ, औ शासन बेहिँ पुराने शक्तिबाले लोग कर्त आए हएँ आपनके असक्षम बनाए देत हएँ जातीय राजनीति कहत कासे हएँ बो बूझन जरुरी हए आपनके, पिछडो समुदायसे कोइ मनै राजनीतिमे अग्गु जानो त समाजिक न्याय हय पर कोइ ऐसे मनै अगेलन लगत त जातिय राजनीति रे अचम्हो लग्त हए जा सोचाइ से । नेपालको संबिधान कानुन नीति नियम से बाहिर जातकी सम्राज्यको कल्पना त मोय लगत हम कोइ करे नैया तओ कैसे भै जातिय राजनितीरु हम सामाजिक न्याय अनुसारको संबैधानिक ब्यबस्था अनुसार सामुदायिक प्रतिनिधित्व सहित समान हैसियतकि राजनीति करन चाहत हएँ कोइ जातीय नाम देन बारे खुद जातीय राजनीति करन बाले होङ्गे हम औ हमर समुदाय नाय ।
चुनावमे हमर रानाथारु समुदायको प्रतिनिधित्व औ अभेको चूकरु
नयाँ संबिधान पिच्छु भए सबय चुनावमे रानाथारु समुदायको प्रतिनिधित्व अच्छुए होत आओ रहए २०७४ को चुनावमे १९ वडा अध्यक्ष, पहिली औ एकए महिला उपमेयर, एक गापा अध्यक्ष २ प्रदेश सदस्य९समानुपातिक०, औ एक संघमे सांसद मिलाएके जम्मा २२ जनि जनप्रतिनिधि भए रहएँ । जा चोटि स्थानीय तहमे अच्छो प्रतिनिधित्व भओ हए ४ जनि उपमेयररउपाध्यक्ष औ २ गापा अध्यक्ष औ १७ वडाअध्यक्ष मिलाएके २३ जनिको स्थानीय तहमे अच्छो सहभागीता भओ हए पर संघ प्रदेशमे जा चोटि शुन्य उपस्थिति भओ हए जा चिन्ताकि बात हए जबकी प्रदेश औ संघमे प्रत्यक्षसे टिकट पान मुस्किल होत हए औ जा चोटि टिकट पाएके १००५ भै के मारे आनिया दिनमे आपनको राजनैतिमे सहभागीताको भबिस्य चिन्ताजनक हए जबकी हर पार्टीबाले नेता हम आदिवासीके टिकट देनपडो, हम पिछडे समुदाय से हएँ, हमर समुदायको बाहुल्यता हए कहिके टिकट माग कर्त हएँ पर मुस्किलसे टिकट पाएके फिर हारनो हरानो समुदायको राजनैतिक भबिस्य चिन्ताजनक हए जा कोइ एक जीते पार्टीबाले कुछदिनकि खुसीयाली मनाइ होङ्गे या हारेबाले दुखी जरुर भए होङ्गे पर जीतेबाले फिर कल्हके दिन बहे समुदायकि भोटको आसरा जरुर करङ्गे औ पक्कए समुदायको नाओ लैके अपन टिकट माग करङ्गे औ भोट फिर ऐसिए मागङ्गे जा बात सबय के बूझन जरुरी हए । जा चुनावको परिणाम से पार्टीको अदाबैरको लक्ष्यण दिखानो हए जो समुदायके ताहिं घाटा हए जबकी देशमे बडी बडि पार्टी तालमेलरगठबन्धन कर्के चुनाव से लैके कुड्सी तक मिले होत हएँ पर आपन उनसे बडे राजनितिग्य हानी पार्टी पार्टी इकल्लो सुझात हए । राजनीति करनबाले नेता लोग जरुर पार्टीको नाओसे भोट मागङ्गे औ उनको नैतिक जिम्मेवारी फिर हए काहेकी पार्टीमे लगङ्गे नाय त उनके राजनैतिक भबिस्य खतम हुइसक्त हए पर आम जनताके हिसाबसे आपनके बूझन जरुरी हए कि हम कौनक मानय कौनक भोट देमए जबकी अभेतक नेपालमे भली पार्टी कोइए ना दिखानी हए, सब एकस हएँ ऐसेमे हमि भले कहनबाले सबय होत हएँ । पार्टीको नाओ लैके भोट मागन नेतनको धरम हए पर आपन अगर समुदायके ताहिं सम्खत हएँ त समुदायको प्रतिनिधित्वके ताहिं फिर सम्खन जरुरी हए । संघिय औ प्रदेश सरकारमे जा चोटि चूक होनकी आपनकि औ उमेदवारनकि बहुत कमि कमजोरी भै होमङ्गी बे कमिकमजोरि आनिया दिनमे सुधार जरुर होङ्गी कहिके आसरा हए पर संस्थागत एकता नहोनसे हम सामुदायिक प्रतिनिधित्वमे कमजोर पडरहे हएँ ।
क० संस्थागत कमजोरी औ सुझावस् नेपालको बर्तमान अवस्थामे जनआन्दोलन २०६२र६३ पिच्छु हरेक जातजाती समुदाय, क्षेत्र कोइ न कोइ घेनसे मजबुत होन कोसिस करन डटे हएँ औ भित्री रुपमे हरेक संस्थागत एकताकी कोसिस हुइरही हए पर रानाथारु समुदायमे जा को कोइ मतलब नैया ना पहल हए कोइ घेनसे । हमर अगुवाइ करन बाले संस्था नेपाल रानाथारु समाजको बडो जद्दा आसरा रहए पर कैयौं सालसे प्रक्रिया गत रूपमे इकल्लो जिन्दा पर समाजिकरराजनैतिक एकताके ताहिं मुर्दा बराबर हए । दस बर्श पिच्छु २०७४ मे भब्य महाअधिबेशनसे नयाँ अगुवाइ जरुर भओ, बडो आसरा रहए अब कुछ समाजिक पहलकदमी, सामुदायिक एकता हुइहए कर्के पर सामुदायिक एकता समाजिक बिकासमे सोचो हानी ना भओ बल्कुन भित्री रूपमे ऐसो लगो राजनैतिक पार्टीको झुन्ड बनिगओ, एकताके सट्टा पार्टीगत नजरियासे देखन लगे जबकी देशभर कहुँ न कहुँ हरेक समुदायको एकता बडेजोडसे काम कर रहे हएँ औ उनहिक पहलसे राजनीतिमे फिर बहुत बडो बदलाब आएरहे हएँ। जैसेकी सुपमे डोटेली समाज, थारु कल्याणकारणी सभा, दार्चुला सेवा समिती, बझाङ्गी समाज लगायत दर्जनौं समिती बनिपडी हएँ । राजनैतिक शक्तिसे बिभाजित अर्ध शिक्षित आपनको समुदायमे संस्थागत एकता होन जरुरि हए अगर ऐसे ना करपाङ्गे त जा चोटिको नतिजासे भै पार्टीगत अदाबैर सबय पार्टी बालेक इकल्लो नुकसान नाए हमर पूरो समुदायके बर्सौं बर्शले नुकसान होनबालो हए औ बोके कारण आपनए तुम अगुवा होङ्गे । मौका बार बार नाए आत हए आओ मौका छिपटो सबयके पचतौनो लगत होत हए साइत जहे मारे तमान जनि रानाथारुको प्रतिनिधित्व ना भओ कहिके फेसबुकमे पोस्ट औ सेयर कर्त रहएँ प्रत्यक्षमे हारके या हराएके कोइ त समानुपातिकसे फिर रानाथारु प्रतिनिधित्व होनपडो कहिके दाबी कर्त हएँ । ऐसो सबकुछ करनको एकए कारण हए कि रानाथारु समुदायको सहभागीता हर पार्टी बाले चाहत हएँ पर जब चुनाव आत त कुत्ता बिलैया हानी एक दुसरेक देख ना चिकत ।
तभिमारे आनिया दिनमे जे सब महसुस कर्के नेपाल रानाथारु समाज समिक्षा बैठक धर्के आनिया दिनको सामुदायिक एकताकी कोसिस करए औ संस्थागत बिकासके ताहिं राजनैतिक पार्टीसे कुछ अलग नेतृत्वमे अभेको नेपालको प्रशासकिय संरचना अनुसार बिधान संशोधन कर्के संस्थागत औ सामुदायिक बिकासमे ध्यान देबय ऐसिए एक बृहत छाता संगठनको फिर अवधारणा लाएके एक सामुदायिक संजाल नियमित निरन्तर कार्य बिभाजन सहितको संगठन या समिती बनान कोसिस करए साइत ऐसो करेसे कुछ उपलब्धि मुलक हुइसक्त हए, २०७४ को चुनावसे अग्गु धनगढीमे कुछ मनैको नितान्त ब्यक्तिगत पहलमे रानाथारु विद्यार्थी समाज, रानाथारु भलमन्सा समाज, रानाथारु शिक्षक तथा कर्मचारी समाज नामक संस्था बनान कोसिस जरुर भए रहएँ पर संस्थागत अभिभावकत्व ना पाएके बे सब संगठन निरंतरता ना पाइँ जे सबको जिम्मेवारी नेपाल रानाथारु समाज लैलेतो त मोय लगत हए कुछ अच्छो औ जल्दिए सामुदायिक एकता हुइसक्त रहए । बारबार गल्ती दोहरान से एक गल्तिसे सिखके समाधान ढूँडन अच्छो होत हए तभिमारे मिर दय भए सुझावसे फिर कुछ औ सचेतनामुलक तरिका हुइसक्त हएँ जो से आनिया दिनमे हमर जाती समुदाय औरनसे पिछडो हए, सरकारके कारण हम पिछडे हएँ, सबकुछ सरकार कर्देबए कहन अवस्था ना आबए काहेकी सबकुछको दोषी सरकार स्वयम् ना होत हए कुछ दोषी आपनौ होत हएँ बो दोष मुक्तिके ताहिं आपन ठीनसे आपन का कर्सक्त हएँ सबके सचेत होन हए ।
बिचार विश्लेषण(धन्यवाद
नारायण राना